तुम मेरे पास थे हो और रहोगे सदा
खुदा का शुक्र है यादों की कोई उम्र नहीं होती

न जाने कहाँ गुज़रता है अब वक़्त उनका
जिनके लिए कभी हम वक़्त से भी ज़्यादा कीमती थे

मेरी काबिलियत को तुम क्या परखोगे ए गालिब
इतनी छोटी सी उमर मेँ ही लाखो दुश्मन बना रखे हैं

जहाँ से तेरा मन चाहे वहा से मेरी जींदगी को पढ ले
पन्ना चाहे कोई भी खुले हर पन्ने पर तेरा ही नाम होगा

अगर मेरी शायरियो से बुरा लगे तो बता देना दोस्तों
में दर्द बाटने के लिए लिखता हु दर्द देने के लिए नही

मैं तो फ़ना हो जाता हूँ अपनी आँखों में उनका अक्स देखकर
वोह ना जाने कैसे अपनी आँखे आईने में देखती होगी

ज़माने के सामने कैसे आते तेरी वेवफाई पे रोने के लिए
सारा जहाँ छोड़ जो बैठे हम सिर्फ एक तेरा होने के लिए

मुझ से रह रह कर कहती हैं हांथों की लकीरें मेरी
वो तो मेरा तब भी नहीं था जब उसका हांथ मेरे हांथों में था

उनकी यादो का एक पिटारा हमने मिट्टी मे दबा दिया
वो निकला एक किस्मी बीज़ उसने फ़िर एक यादो का पेड़ उगा दिया

पुरानि गर्लफ्रेन ने गुगल मे सर्च किया
"#Nandkishor Garg ..." को वश मै कैसै करै.. गुगल_का_Answer_आया ...
अपनि औकात कै बाहर सर्च ना करै...

हम वो हैं जो आँखों में आँखें डाल के सच जान लेते हैं
तुझसे मुहब्बत है बस
इसलिये तेरे झूठ भी सच मान लेते हैं...!

♏सेवा सभी की करना मगर आशा किसी से भी ना रखना
क्योंकि सेवा का वास्तविक मूल्य भगवान् ही दे सकते हैं इंसान नहीं

दोस्ती इन्सान की ज़रुरत है दिलों पर दोस्ती की हुकुमत है
आपके प्यार की वजह से जिंदा हूँ वरना खुदा को भी हमारी ज़रुरत है

दर्द कितना खुशनसीब है जिसे पा कर लोग अपनों को याद करते हैं
दौलत कितनी बदनसीब है जिसे पा कर लोग अक्सर अपनों को भूल जाते है

बरसात आये तो ज़मीन गीली न हो
धूप आये तो सरसों पीली न हो
ए दोस्त तूने यह कैसे सोच लिया कि
तेरी याद आये और पलकें गीली न हों