क्या बटवारा था हाथ की लकीरों का भी
उसके हिस्से में प्यार मेरे हिस्से में इंतज़ार
क्या बटवारा था हाथ की लकीरों का भी
उसके हिस्से में प्यार मेरे हिस्से में इंतज़ार
तुझे जींदगी भर याद रखने की कसम तो नहीं ली,
पर एक पल के लिए तुझे भुलाना भी मुश्किल है..
बुजदील हम नही जो पीछे से वार करते है
अरे हम तो वो है जो शेर को भी जगा कर शिकार करते है
इतिहास में जाके सुन लेना हमारी कहानी
खून बहाया इतना नही था जितना नदियों में पानी
जिंदगी को इतना सिरियस लेने की जरूरत नही यारों
यहाँ से जिन्दा बचकर कोई नही जायेगा
वो ढूँढ रहे थे हमसे दूर जाने के बहाने..
मेने सोच खफा होके उनकी मुश्किले आसान कर दूँ..
अखलाक से ही पहेचान होती है इंसानो की
महेंगे कपडे तो पुतले भी पहनते है दुकानों में
मेरी आँखों में छुपी उदासी को महसूस तो कर..
हम वह हैं जो सब को हंसा कर रात भर रोते हैं…
एक आरज़ू थी तेरे साथ जिंदगी गुजारने की
पर तेरी तरह मेरी तो ख्वाहिशे भी बेवफा निकली
हँसकर दर्द छुपाने की कारीगरी मशहूर थी मेरी, पर कोई हुनर काम नहीं आता जब तेरा नाम आता...
माना की दूरियां कुछ बढ़ सी गयीं हैं लेकिन
तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजरता है
मेरी कहानी खत्म हो तो कुछ ऐसे खत्म हो की
लोग रोने लगे मेरे लिए तालियाँ बजाते बजाते
चेहरे अजनबी हो जाये तो कोई बात नही
लेकिन रवैये अजनबी हो जाये तो बडी तकलीफ देते हैं
हम दोस्ती करते है तो अफसाने लिखे जाते है
और दुश्मनी करते है तो तारीखे लिखी जाती है
दम नहीं किसी में जो मिटा सके हमारी हस्ती को
जंग तलवारो को लगती है नेक इरादो को नहीं