किसी मूर्ख से कभी तर्क ना करें
अन्यथा लोग यह नहीं पहचान पाएंगे की वास्तव में मूर्ख कौन है

दिखावे की मोहब्बत तो जमाने को हैं हमसे
पर ये दिल तो वहाँ बिकेगा जहाँ ज़ज्बातो की कदर होगी

मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ कि वो बेवफा थी,
वो उतनी ही वफ़ा, कर सकी जितनी उसकी औकात थी...

तुम्हारी ज़िद बेमानी है दिल ने हार कब मानी है
कर ही लेगा वश में तुम्हें आदत इसकी पुरानी है

छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी आरजू करना
जिसे मोहब्बत की कद्र ना हो उसे दुआओ मे क्या मांगना

"खूबसूरती से धोका न खाइये जनाब..
तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो...
मांगती तो........ खून ही हे"..

ऐ जिन्दगी तु ही बता मैं तेरा गुनहेगार तो नहीं
फिर क्यू तु हमेशा मुझ से रूठी रूठी सी रहती है

शोख नहीं है मुझे फ़ोटो खिंचाने का, पर क्या करू, मेरी रानी को मेरा फ़ोटो देखे बिना नींद नहीं आती....

दिलासा देते है लोग कि यू हर वक्त रोया न करो
मै कैसे बताऊँ कि कुछ दर्द सहने के काबिल नही होते

यूँ किस बात का इन्तकाम है तेरा, मेरे दोस्त,
तेरा देख के ना देखने का अंदाज तौबा मेरे सब्र की।

उनको डर है कि हम उन के लिए जान नही दे सकते
और मुझे खोफ़ है कि वो रोएंगे बहुत मुझे आज़माने के बाद

उनको डर है कि हम उन के लिए जान नही दे सकते
और मुझे खोफ़ है कि वो रोएंगे बहुत मुझे आज़माने के बाद

........."सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमने
"हसीन जिस कि जितनी अदा है वो उतना ही बेवफा है !!

वो जो कहते थे मिटा देगे हर याद मेरी दिल से
सुना है फकीरा उन से मेरा नाम तक न लिख कर मिटाया गया

जान जब प्यारी थी कम्बखत उस वक्त वो भी हमारी थी
आज जब मरने का शोक है तो एक भी क़ातिल नज़र नही आता