इतने करीब रहो कि रिश्तों में एतबार रहे; इतने भी दूर मत जाओ कि इंतज़ार रहे; उम्मीद रखो रिश्तों के बीच इतनी; कि उम्मीद टूटे पर रिश्ते बरकरार रहें।

छोटी सी बात पे लोग रूठ जाते हैं; हाथ उनसे अनजाने में छूट जाते हैं; कहते हैं बड़ा नाज़ुक है अपनेपन का रिश्ता; इसमें हँसते-हँसते भी दिल टूट जाते हैं।

वो दिल नहीं रहे वो जज्बे नहीं रहे; अपने भी इस दौर में अपने नहीं रहे; हालात-ऐ-जमाने पर गौर किया तो जाना; रिश्ते सिर्फ जुबान के रह गए दिल के नहीं रहे।

कुछ रिश्ते इस जहान में ख़ास होते हैं; हवा के रुख से जिन के एहसास होते हैं; यह दिल की कशिश नहीं तो और क्या हैं; दूर रह कर भी वो दिल के कितने पास होते हैं।

किसी ने सच कहा है: जब दीवारों में दरार पड़ती है तो दीवारें गिर जाती हैं लेकिन जब रिश्तों में दरार पड़ती है तो कभी ना गिरने वाली दीवारें बन जाती हैं।

नहीं बन जाता कोई अपना यूहीं दिल लगाने से; करनी पड़ती है दुआ रब से कोई अपना पाने में; रखना संभालकर ये रिश्ते अपने; टूट ना जायें ये किसी के बहकाने से।

कुछ लोग यादों को दिल की तस्वीर बनाते हैं; दोस्तों की यादों में महफ़िल सजाते हैं; हम थोड़े अलग हैं; जो किसी की याद आने से पहले उनको अपनी याद दिलाते हैं।

आंसू होते नहीं बहाने के लिए; गम होते हैं पी जाने के लिए; दोस्त कभी दिल से मत सोचना किसी को पाने के लिए; नहीं तो सारी जिंदगी बीत जाएगी उसको भुलाने के लिए!

यादें अक्सर होती हैं सताने के लिए; कोई रूठ जाता है फिर मान जाने के लिए; रिश्ते निभाना कोई मुश्किल तो नहीं; बस दिलों में प्यार चाहिए उसे निभाने के लिए।

यादें अक्सर होती हैं सताने के लिए; कोई रूठ जाता है फिर मान जाने के लिए; रिश्ते निभाना कोई मुश्किल तो नहीं; बस दिलों में प्यार चाहिए उसे निभाने के लिए।

दिल से बने जो रिश्ते उनका नाम नहीं होता; इनका कभी भी निरर्थक अंजाम नहीं होता; अगर निभाने का जज्बा दोनों तरफ से हो; तो ये पाक रिश्ता कभी बदनाम नहीं होता।

दिल के घर में बसने वाले अजनबी नहीं होते; हर वक़्त याद आने वाले अजनबी नहीं होते; ख़ुशी देने वाले तो अपने होते हैं; पर गम देने वाले भी कभी अजनबी नहीं होते।

करीब इतना रहो कि रिश्तों में प्यार रहे; दूर भी इतना रहो कि आने का इंतजार रहे; रखो उम्मीद रिश्तों के दरमियां इतनी; कि टूटे उम्मीद मगर रिश्ता बरकरार रहे।

करीब इतने रहो कि रिश्तों में प्यार रहे; दूर भी इतना रहो की आने का इंतज़ार रहे; रखो उम्मीद रिश्तों के दरम्यान इतनी कि; टूट जायें उम्मीद मगर रिश्ते बरकरार रहें।

रिश्तों की ही दुनिया में अक्सर ऐसा होता है; दिल से इन्हें निभाने वाला ही रोता है; झुकना पड़े तो झुक जाना अपनों के लिए; क्योंकि हर रिश्ता एक नाजुक समझौता होता है।