जिंदगी भर दर्द से जीते रहे
दरिया पास था आंसुओं को पीते रहे
कई बार सोंचा कह दू हाल-ए-दिल उससे
पर न जाने क्यूँ हम होंठो को सीते रहे

रात होगी तो चाँद दुहाई देगा;
ख्वाबों में आपको वह चेहरा दिखाई देगा;
ये मोहब्बत है, ज़रा सोचकर करना;
एक आंसू भी गिरा तो सुनाई देगा!

हर धरकन में एक राज्र होता है हर बात को बताने का एक अंदाज्र होता है
जब तक ठोकर न लगे बेवफाई
की हर किसी को अपने प्यार पे नाज्र होता है

ख्याल में आता है जब उसका चेहरा,
तो लबों पे अक्सर फ़रियाद आती है
हम भूल जाते हैं उसके सारे सितम ..,
जब उसकी थोड़ी सी मुहब्बत याद आती है

उनकी मोहब्बत के अभी निशान बाकी है; नाम लब पर है और जान बाकी है; क्या हुआ अगर देख कर मुँह फेर लेते हैं; तसल्ली है कि शक्ल की पहचान बाकी है।

थोड़े पैसे बचाने के चक्कर में छोटी टंकी
वाला
कूलर मत लेना
सुबह 3 बजे उठकर दो बाल्टी पानी
डालना चाँद पर जाने से भी मुश्किल है।।

तुमको समझाता हूँ इसलिए ए दोस्त; क्योंकि सबको ही आज़मा चुका हूँ मैं; कहीं तुमको भी पछताना ना पड़े यहाँ; कई हसीनों से धोखा खा चुका हूँ मैं।

इंसान के कंधों पर ईंसान जा रहा था; कफ़न में लिपटा अरमान जा रहा था; जिन्हें मिली बे-वफ़ाई महोब्बत में; वफ़ा की तलाश में श्मशान जा रहा था।

दामाद उम्र में छोटा होता है फिरभी ससुराल मे सभी उसे आप कहके बुलाते है
क्योंकि हमारे देश मे शहीदों का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है

कोई सहारा नहीं दुआ के सिवा
कोई सुनता नीं खुदा के सिवा
मैने भी जिन्दगी को करीब से देखा है
मुश्किलों में कोई साथ नहीं खुदा के सिवा

तेरे गम को अपनी रूह में उतार लूँ
जिन्दगी तेरी चाहत में सवार लूँ
मुलाकात हो तुझ से कुछ इस तरह
तमाम उमर बस इक मुलाकात में गुजार लूँ

वो बेवफा होती तो यारों बात और थी उसकी वफ़ा से ही दिल में जखम है
हर दुसरे दिन उसका मैसेज आ जाता है मोबाइल रिचार्ज करा दो बैलेंस ख़तम है

जाने मेरी आँखों से कितने आँसू बह गए; इंसानो की इस भीड़ में देखो हम तनहा रह गए; करते थे जो कभी अपनी वफ़ा की बातें; आज वही सनम हमें बेवफ़ा कह गए।

तेरे गम को अपनी रूह में उतार लूँ
जिन्दगी तेरी चाहत में सवार लूँ
मुलाकात हो तुझ से कुछ इस तरह
तमाम उमर बस इक मुलाकात में गुजार लूँ..

हम तो तेरे दिल की महफ़िल सजाने आए थे; तेरी कसम तुझे अपना बनाने आए थे; किस बात की सजा दी तुने हमको बेवफा; हम तो तेरे दर्द को अपना बनाने आए थे।