आज फिर तन्हा रात में इंतज़ार है उस शख्स का
जो कहा करता था तुमसे बात न करूँ तो नींद नहीं आती

फिर से मिलने का वादा तो उनके मुँह से निकल ही गया,
जब हमने जगह पुछी तो कहने लगे ख़्वाबों में आते थे आते रहेंगे..!

मेरी किस्मत में तो कुछ यूँ लिखा है किसी ने वक्त गुज़ारने के लिए अपना बनाया
तो किसी ने अपना बनाकर वक्त गुजार लिया

मैंने जिन्दगी से पूछा
सबको इतना दर्द क्यों देती हो
जिन्दगी ने हंसकर जवाब दिया
मैं तो सबको ख़ुशी ही देती हु
पर एक की ख़ुशी दुसरे का दर्द बन जाती है

ना जाने क्या सोच कर लहरें साहिल से टकराती हैं; और फिर समंदर में लौट जाती हैं; समझ नहीं आता कि किनारों से बेवफाई करती हैं; या फिर लौट कर समंदर से वफ़ा निभाती हैं।

तैवर दीखाना हमे भी आता है पगली
लेकीन माँ ने लडकीयो की ईजजत करना सिखाया हे

ज़िन्दगी का ये हूनर भी आज़माना चाहिए
जंग अगर अपनो से हो तो हार जाना चाहिए

मैं उसके लिए इश्किया शायरी लिखे जा रहा हूँ
वो बस वाह वाह कर के फॉरवर्ड किये जा रही है

आदते बुरी नही शोक ऊँचे हैं;
वर्ना किसी ख्वाब की इतनी ओकात
नही की हम देखे ओर पूरा ना हो......

नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है...
लोग "रूलाना" नहीं छोडते...
और हम "हसना" नहीं छोडते...

गुलाबी आँखे जो तेरी देखी शराबी ये दिल हो गया
संभालो मुझको ऐ मेरे यारोँ संभलना मुश्किल हो गया

उम्र और ज़िन्दगी में
फर्क बस इतना...
जो तेरे बिन बीति,
वो उम्र
जो तेरे साथ बीति,
वो ज़िन्दगी..

दिया जरुर जलाऊंगा चाहे मुझे ईश्वर मिले न मिले
हो सकता है दीपक की रोशनी से किसी मुसाफिर को ठोकर न लगे

कफन मे लिपटा देखकर माथा चूम के मेरे दोस्त मुझसे बोले
अरे पागल नऐ कपडे पहन लिये तो क्या अब बात भी नही करेगा

कुछ पाया था, कुछ खोया था
बस ये सोच के दिल बहुत रोया था
पर आज ये सोचकर खामोश है हम
कि जो खोया था क्या सच में कभी पाया था
er kasz