मत सोना किसी के गोद में सर रखकर,
जब वो छोङता है तो रेशम के तकिय पर भी नीदं नही आती...
मत सोना किसी के गोद में सर रखकर,
जब वो छोङता है तो रेशम के तकिय पर भी नीदं नही आती...
भीड़ इतनी तो ना थी शहर के बाज़ारों में
खोने वालें ने कुछ देर तो ढूँढा होता मुझे
हम ने चलना छोड़ दिया अब उन राहों में
टूटे वादों के टुकड़े चुभते है अब पांवो में
ये तो शौक है मेरा ददॅ लफ्जो मे बयां करने का
नादान लोग हमे युं ही शायर समझ लेते है
कमाल का ताना दिया है आज किसी ने मुझे कि
लिखते तो बहुत खूब हो कभी समझा भी दिया करो !!
उन घरों में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं; क़द में छोटे हों मगर लोग बड़े रहते हैं...
बड़े शौक से उतरे थे हम समंदर-ए-इश्क में
एक लहर ने ऐसा डुबोया कि फिर किनारा ना मिला
छोड़ने वालों को छोड़ने का बहाना चाहिए
वर्ना निभाने वाले तो शमशान तक निभाते हैं
ऐ इश्क़ दिल की बात कहूँ तो बुरा तो नहीं मानोगे
बड़ी राहत के दिन थे तेरी पहचान से पहले
रोज हम नशे में होते है और शाम गुजर जाती है
एक दिन शाम नशे मैं होगी और हम गुजर जायेगा
इतिहास में जाके सुन लेना हमारी कहानी
खून बहाया इतना नही था जितना नदियों में पानी
वो ढूँढ रहे थे हमसे दूर जाने के बहाने..
मेने सोच खफा होके उनकी मुश्किले आसान कर दूँ..
कुछ कर गुजरने की चाह में, कहाँ कहाँ से गुजरे
अकेले ही नज़र आये हम, जहां जहां से गुजरे
तुम्हारी नफरत पर भी लुटा दी ज़िन्दगी हमने; सोचो अगर तुम मुहब्बत करते तो हम क्या करते।
उसने मोहब्बत ही तो बदली है ताजूब कैसा
दुआ कबुल ना होने पर तो लोग खुदा को भी बदलते है