जब वफा की बात आये तो,हम ने दिल निकाल कर हथेली पर रख दिया
वो कहने लगे कोई और बात करो ऐसे खिलोनो से हम रोज़ खेलते हैं
जब वफा की बात आये तो,हम ने दिल निकाल कर हथेली पर रख दिया
वो कहने लगे कोई और बात करो ऐसे खिलोनो से हम रोज़ खेलते हैं
जिंदगी दो चीजो पे चलती है। दुश्मनी ऒर प्यार.........! दुश्मनी एसी करो कि दुनिया देखतीजाए ..! ओर प्यार ऐसा करो कि दुनिया जलती jye
दोस्ती इन्सान की ज़रुरत है दिलों पर दोस्ती की हुकुमत है
आपके प्यार की वजह से जिंदा हूँ वरना खुदा को भी हमारी ज़रुरत है
ये तो जिन्दगी की कशमकस में थोड़ा उलझ गए हैं दोस्तो,
वर्ना…
हम तो उनमें से है,
जो दुश्मनों को भी अकेला महसूस नहीं होने देते…!
बिंदास मुस्कुराओ क्या ग़म हे ज़िन्दगी में टेंशन किसको कम हे
अच्छा या बुरा तो केवल भ्रम हे जिन्दगी का नाम ही कभी ख़ुशी कभी गम हैं
रात होगी तो चाँद दुहाई देगा;
ख्वाबों में आपको वह चेहरा दिखाई देगा;
ये मोहब्बत है, ज़रा सोचकर करना;
एक आंसू भी गिरा तो सुनाई देगा!
अै छोरी मुझे ज्यादा Attitude ना दिखा
जो लस्सी तु कभी कभी 40 रुपये कि पीती है ना
ऊससे गाढी लस्सी तो मेरी माँ कैन भरके कुत्तो को पिला देती है
आसमां में मत ढूँढ अपने सपनों को
सपनों के लिए तो ज़मीं जरूरी है
सब कुछ मिल जाये तो जीने का क्या मजा
जीने के लिए कुछ कमी भी तो जरूरी है..
अगर किसी #दिन #रोना #आये ,
तो #कॉल #करना ,
#हसाने की #गारंटी नही #देता हूँ ,
पर #तेरे #साथ #रोऊंगा जरुर !!!🙏🙏
तेरे प्यार का सिला हर हाल में देंगे;
खुदा भी मांगे ये दिल तो टाल देंगे;
अगर दिल ने कहा तुम बेवफ़ा हो;
तो इस दिल को भी सीने से निकाल देंगे।
छुपा लूं तुझको अपनी बाँहों में इस तरह, कि हवा भी गुजरने की इजाज़त मांगे;
मदहोश हो जाऊं तेरे प्यार में इस तरह, कि होश भी आने की इजाज़त मांगे!
जमीन अच्छी हो खाद अच्छा हो
पर पानी अगर खारा हो तो फूल खिलते नहीं
भाव अच्छा हो विचार भी अच्छा हो
मगर वाणी खराब हो तो संबंध भी टिकते नहीं
सिर से पैर तक कपडे हाथ मेँ दस्ताने चेहरे पे लिपटा स्कार्फ कंधो पर दुपट्टा
बंधे हुए बाल यक़ीनन गर्मियाँ लडकियों को संस्कारी बना देती हैं
ठुकरा के उसने मुझको कहा की मुस्कुराओ मैं हँस दिया
आखिर सवाल उसकी खुशी का था
मैने खोयो वो जो मेरा था ही नहीं उसने खोया वो जो सिर्फ उसका ही था
मैं उसके हाँथों में था टूटे हुए शीशे की तरह
बड़ी उम्मीद थी कि वो बिखरने नहीं देगा
बस गिराया कुछ इस तरह से उसने मुझे
कि फिर सिमटने की आस न रही