जो हम न सोच सकें लोग सोच लेते हैं दिखा के ख़्वाब वो आँखों को नोच लेते हैं
कभी जो आँख के कोनों पे झिलमिलाते हैं वो आँसू ग़मज़दा पलकों से पोंछ लेते हैं

बहुत बेहतरीन कविता है
तू जिंदगी को जी उसे समझने की कोशिश न कर
सुन्दर सपनो के ताने बाने बुन उसमे उलझने की कोशिश न कर
चलते वक़्त के साथ तू भी चल उसमे सिमटने की कोशिश न कर
अपने हाथो को फैला खुल कर साँस ले अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर
मन में चल रहे युद्ध को विराम दे खामख्वाह खुद से लड़ने की कोशिश न कर
कुछ बाते भगवान् पर छोड़ दे सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न कर
जो मिल गया उसी में खुश रह जो सकून छीन ले वो पाने की कोशिश न कर
रास्ते की सुंदरता का लुत्फ़ उठा मंजिल पर जल्दी पहुचने की कोशिश न कर....