रिश्वत भी नहीं लेती कम्बख्त जान छोड़ने
की….!
ये तेरी याद मुझे बहुत ईमानदार लगती है.

पटाने को हम भी पटा लें मुहल्ले क़ी सारी लडकियाँ
पर हमें इश्क का शौक है आवारगी का नही

सिमटते जा रहें हैं दिल और ज़ज्बात के रिश्ते
सौदा करने मे जो माहिर है बस वही धनवान है

जाने क्यूँ अपने हुस्न पर इतना गुरूर है उसे लगता है
उसका आधार कार्ड अब तक नहीं बना है

रहने दे गुंजाइशें जरा अपनी बेरुखी में
इतना ना तोड़ मुझे कि मैं किसी और से जुड़ जाऊँ

रात पूरी जाग कर गुजारूं तेरी खातिर
एक बार कह कर तो देख मुझे भी तेरे बिना नींद नही आती

मेरा यही अन्दाज इस जमाने को खलता है
की ये साला इतना टुटने के बाद भी सीधा कैसे चलता है

कुछ अजीब सा रिश्ता है उसके और मेरे दरमियान
न नफरत की वजह मिल रही है न मोहब्बत का सिला

तू मिले या ना मिले ये मेरे मुकद्दर कि बात है मगर
सुकून बहुत मिलता है तूझे अपना सोच कर

हवा खिलाफ थी लेकिन, चिराग भी क्या खूब जला
खुदा भी अपने होने के क्या क्या सबूत देता है

हम ना पा सके तुझे मुदतो के चाहने के बाद
ओर किसी ने अपना बना लिया तुझे चंद रसमे निभा के

शायरी से ज्यादा प्यार मुझे कहीं नही मिला..
ये सिर्फ वही बोलती है, जो मेरा दिल कहता है…

क्या हुआ अगर मेरे लब तेरे लब से लग गये
नाराज़ क्यूँ हो रही हो माफ़ ना करो तो बदला ही ले लो

मुझे बदनाम करने का बहाना ढूँढ़ते हो क्यों"मैं खुद
हो जाऊंगा बदनाम पहले नाम होने दो..

"मै तेरी मजबूरिया समझता था इसलिए जाने दिया...
अब तु भी मेरी मजबूरिया समझ और वापस आ जा...!!"