मज़हब दौलत ज़ात घराना सरहद ग़ैरत खुद्दारी
एक मुहब्बत की चादर को कितने चूहे कुतर गए

मम्मी ने बोला है जीतनी गाेपी घुमानी है उतनी घुमाले
लेकीन तेरी राधा तो मे ही लाउगी

एक आरज़ू थी तेरे साथ जिंदगी गुजारने की
पर तेरी तरह मेरी तो ख्वाहिशे भी बेवफा निकली

हँसकर दर्द छुपाने की कारीगरी मशहूर थी मेरी, पर कोई हुनर काम नहीं आता जब तेरा नाम आता...

माना की दूरियां कुछ बढ़ सी गयीं हैं लेकिन
तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजरता है

मेरी कहानी खत्म हो तो कुछ ऐसे खत्म हो की
लोग रोने लगे मेरे लिए तालियाँ बजाते बजाते

चेहरे अजनबी हो जाये तो कोई बात नही
लेकिन रवैये अजनबी हो जाये तो बडी तकलीफ देते हैं

रात भर चलती रहती है उँगलियाँ मोबाइल पर
किताब सीने पे रखकर सोये हुए एक जमाना हो गया

पगली तु हमारे शौख का अंदाजा कया लगाओगी
हम तो मोरारी बापु की कथा भी वुफर मे सुनते है

सफर में मुश्किलें आऐ तो हिम्मत और बढ़ती है
ना बिकने का इरादा हो तो कीमत और बढ़ती है

शायरों की महफ़िलों में हम इसलिए भी जाते हैं
हम से बिछड़ कर शायद वो भी शायर हो गयी हो

कुछ सपनों को पूरा करने निकले थे घर से
किसको पता था कि घर जाना ही एक‪ सपना ‬बन जायेगा

किसी के लिये किसी की अहमियत खास होती है
एक के दिल की चाबी हमेशा दूसरे के पास होती है

मैं कुर्बान हो जाउं मेरे यार की यारी पर...
मेरी दुआ भी वो है, मेरी दवा भी वो है ..
💔💔nik💔💔

कुछ कर गुजरने की चाह में, कहाँ कहाँ से गुजरे
अकेले ही नज़र आये हम, जहां जहां से गुजरे