रात हुई जब शाम के बाद! तेरी याद आई हर बात के बाद! हमने खामोश रहकर भी देखा! तेरी आवाज़ आई हर सांस के बाद!
रात हुई जब शाम के बाद! तेरी याद आई हर बात के बाद! हमने खामोश रहकर भी देखा! तेरी आवाज़ आई हर सांस के बाद!
/>
बचपन में मेरे दोस्तों के पास घड़ी नही थी, लेकिन समय सबके पास था। आज सबके पास घड़ी है पर समय नहीं।
मेरी फितरत में नहीं के मैं अपने ग़म करू बयां
जो मै तेरे वजूद का हिस्सा हु तो महसूस कर तकलीफ मेरी
तुम खुश-किश्मत हो जो हम तुमको चाहते है वरना
हम तो वो है जिनके ख्वाबों मे भी लोग इजाजत लेकर आते है
जरूरी नही हर समय जुबा पर भगवान का नाम आये |वो लम्हा भी भक्ति का होता हैजब इन्सान इन्सान के काम आये ||
उनको डर है कि हम उन के
लिए जान नही दे सकते,
और मुझे खोफ़ है कि
वो रोएंगे बहुत मुझे आज़माने के बाद..
हज़ारो मैं मुझे सिर्फ़ एक वो शख्स चाहिये
,,
.
जो मेरी ग़ैर मौजूदगी मैं, मेरी बुराई ना सुन
सके ll
मुझे हाथ की रेखाओं पर इसीलिए विश्वास नहीं है
कैद ये मेरी मुठ्ठी में है क्या खोलेगी किस्मत मेरी
किसी शायर से कभी उसकी उदासी की
वजह पूछना
.
दर्द को इतनी ख़ुशी से सुनाएगा की प्यार
हो जायेगा
टूटे हुवे सपनो और रूठे हुवे अपनों ने आज उदास कर दिया
वरना लोग हमसे मुस्कराने का राज पुछा करते थे
मैं सहंम जाता हूँ किसी भी पायल की
आवाज सुनकर !
वो याद आता है जिस बैवफा ने पैरों से
दिल रोंदा था !!
हाल तो पुंछ लू तेरा ...
पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी.......!!
ज़ब ज़ब सुनी हैं .....
कमबख्त मोहब्बत ही हुई हैं ......!!
कितने झूठे हो गये है हम
बच्चपन में अपनों से भी रोज रुठते थे आज दुश्मनों से भी मुस्करा के मिलते है
मोबाइल पर whatsapp और facebook चलाते चलाते समझ आ गया
कि द्रोणाचार्य ने एकलव्य से अंगूठा मांगकर गलती नहीं की थी
आज यह कैसी उदासी छाई है! तन्हाई के बादल से भीगी जुदाई है! रोया है फिर मेरा दिल! जाने आज किसकी याद आई है!