सारी शिकायतों का हिसाब जोड़ कर रखा था मैंने
दोस्त ने गले लगाकर सारा गणित ही बिगाड़ दिया

हज़ारो मैं मुझे सिर्फ़ एक वो शख्स चाहिये
जो मेरी ग़ैर मौजूदगी मैं मेरी बुराई ना सुन सके

हमारी अदा तो हमेशा मुकुरने की थी ओये बेवफा
ज़िन्दगी वीरान हो गयी किसी से दिल लगाने के बाद

काश वो एक नया तरीका मेरे क़त्ल का इज़ाद करें; मर जाऊ मैं हिचकियों से वो इस कदर मुझे याद करें!

कितनें अनमोल होतें हैं अपनों क़े रिश्तें भी
क़ोई याद ना बी करें तो इंतज़ार फ़िर भी रेहता हैं

​खयालों में ​उसके मैंने बिता दी ज़िंदगी सारी;​​​​इबादत कर नहीं पाया खुदा! नाराज़ मत होना​।

गिरा दे जितना पानी है तेरे पास ऐ बादल
ये प्यास किसी के मिलने से बुझेगी तेरे बरसने से नहीं

उसकी मुहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब है,
अपना भी नहीं बनाती और किसी का होने भी नहीं देती....!!

अब सज़ा दे ही चुके हो तो मेरा हाल ना पूछना,
अगर मैं बेगुनाह निकला तो तुम्हे अफ़सोस बहुत होगा

कभी तुम नेही कहा था किआँखे भर के देख लिया करो मुझे
आज आँखे भर आती है लेकिन तुम नजर नहीँ आते

पगली तु हमारे शौख का अंदाजा कया लगाओगी।।
हम तो मोरारी बापु की कथा भी वुफर मे सुनते है।😎😎

ये तेरे याद के बादल जो बसते हे इन आँखों में काजल की तरह
यूँ बेवजह बरस जाना तो इनकी आदत ना थी

नया कुछ भी नहीं हमदम वही आलम पुराना है; तुम्हीं को भुलाने की कोशिशें तुम्हीं को याद आना है।

तुम्हारी ज़िद बेमानी है दिल ने हार कब मानी है
कर ही लेगा वश में तुम्हें आदत इसकी पुरानी है

यूँ किस बात का इन्तकाम है तेरा, मेरे दोस्त,
तेरा देख के ना देखने का अंदाज तौबा मेरे सब्र की।