स्वर्ग का सपना छोड़ दो,
नरक का डर छोड़ दो,
कौन जाने क्या पाप, क्या पुण्य,
बस किसी का दिल न दुखे अपने स्वार्थ के लिए,
बाक़ी सब कुदरत पर छोड़ दो।

जो व्यस्त थे वो व्यस्त ही निकले
वक्त पर फ़ालतू लोग ही काम आये

यूँ तो एक ठिकाना मेरा भी हैं
मगर तुम्हारे बिना मैं लापता सा महसूस करता हु

कितने अनमोल होते हैं ये अपनों के रिश्ते
कोई याद न करे तो भी इंतज़ार रहता है…!!!

उम्दा और उम्दा और बहुत उम्दा होता गया
कुछ इस तरह से मैने अपनी मासूमियत गंवाई है

कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की, हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती....!!!

सलामत रखना उनको जो हमसे नफरत करते हैं
प्यार ना सही नफरत ही सही
कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे करते हैं
G.R..s

टूटा तारा देख कर दिल ने कहा मांग ले तू फ़रियाद कोई
मैंने कहा जो खुद टूट रहा है कैसे पूरी करेगा वो मुराद कोई

कैसे बताये आज हमें क्यूँ साथी वो पुराना याद आया
बीते मौसम को सजाने ... आज फ़िर वोह फ़साना याद आया
गुलशन की बहारों मैं,
रंगीन नज़ारों मैं,
जब तुम मुझे ढूंढोगे,
आँखों मैं नमी होगी,
महसूस तुम्हें हर दम,
फिर मेरी कमी होगी......
आकाश पे जब तारे,
संगीत सुनाए गे,
बीते हुए लम्हों को,
आँखों मैं सजाओगे,
तन्हाई के शोलों मे,
जब आग लगी होगी
महसूस तुम्हे हर दम
फिर मेरी कमी होगी,
सावन की घटाओं का
जब शोर सुनोगे तुम,
बिखरे हुए माज़ी के
राग चुनोगे तुम
माहॉल के चेहरे पर
जब धूल जमी होगी
महसूस तुम्हे हर दम
फिर मेरी कमी होगी
जब नाम मेरा लोगे
तुम कांप रहे होगे
आंशूं भरे दामन से
मुँह ढांप रहे होगे
रंगीन घटाओं की
जब शाम घनी होगी
महसूस तुम्हें हर दम
फिर मेरी कमी होगी..............
क्या ख़बर तुम को दोस्ती क्या है
ये रोशनी भी है अंधेरा भी है
ख़्वाहीसों से भरा जज़ीरा भी है
बहुत अनमोल एक हीरा भी है
दोस्ती यूँ तौ माया जाल भी है
इक हक़ीक़त भी है ख़याल भी है
कभी शाम तो कभी सुबह भी है
कभी ज़मीन कभी आसमान भी है
दोस्ती झूठ भी है सच भी है
दिल मैं रह जाए तो कसक भी है
कभी ये जीत कभी हार भी है
दोस्ती साज़ भी है संगीत भी है
शेर, नज़म ओर गीत भी है
वफ़ा क्या है वफ़ा भी दोस्ती ही है
दिल से निकली हैर दुआ भी दोस्ती ही है
बस इतना समझ ले तू प्यार की इंतहा भी दोस्ती ही है

Mera Dil Kaleja Kidney or Liver ho tum
Waqt bewaqt aaye Fever ho tum
Doob k mar jaye voh River ho tum
Mere life me ab Forever ho tum. Er kasz

जहा रहेगा वही रोशनी लुटायेगा
किसी चिराग का अपना मकान नहीं होता

दावे दोस्ती के मुझे नहीं आते यारो
एक जान है जब दिल चाहें मांग लेना

अच्छा हुआ तुम किसी और के हो गए
खत्म हो गई फिकर तुम्हेँ अपना बनाने की..

इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले
और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले

ठान लिया था किअब और नहीं लिखेंगे
पर उन्हें देखा और अल्फ़ाज़ बग़ावत कर बैठे