क्यूँ किसी के ख्यालों में खोया जाये
क्यूँ किसी की यादों में रोया जाये.
इस दुनिया के झमेले मैं पड़ना है बेकार
आज सन्डे है चलो जी भर के सोया जाये.

तु मुझसे बात नहीं करती इसका मुझे कोइ अफसोस नहीं
अफसोस तो तुझे होगा जिस दिन तुझे पता चल जाएगा कि
मैने पंजे और छ्क्के के पिछे अपना ईक्का गवां दिया

कौन कहता है इश्क़ में बस इकरार होता है
कौन कहता है इश्क़ में बस इंकार होता है
तन्हाई को तुम बेबसी का नाम ना दो
क्यूंकि इश्क़ का दूसरा नाम ही इंतज़ार होता है.

तू नहीं तो ये नज़ारा भी बुरा लगता है..
चाँद के पास सितारा भी बुरा लगता है..
ला के जिस रोज़ से छोड़ा है तुने भवँर में मुझको..
मुझको दरिया का किनारा भी बुरा लगता है..

हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते है
जैसे बच्चे भरे बाजार में खो जाते है ॥
मुस्तकिल जूझना यादों से बहुत मुशिकल है
रफ्ता-रफ्ता सभी घर-बार में खो जाते है ॥
इन सांसो की रफाकत पे भरोसा न करो
सब के सब मिट्टी के अम्बर में को जाते है ॥
मेरी खुद्दारी ने अहसान किया है मुझपर
वरना जो जाते है दरबार में खो जाते है ॥
कौन फिर ऐसे में तनकीद करेगा तुझपर
सब तेरे जुबा-वो-दस्तर में खो जाते है ॥
याद आया............

तुम्ही कहो की कौन सी मैं रोशनी कहूँ
नूरे अजल कहूँ की तुम्हें चांदनी कहूँ ॥
यारों से मुंह को फेरकर रुखसत हुआ था मैं
किससे दायरे गैर की अब बेबसी कहूँ ॥
अफसाना-ऐ-हयात मेरा पूछते है लोग
सौ-सौ कहानियाँ है मेरी कौन सी कहूँ ॥
दुनिया जफा शेर को अहले खिरद कहे
मैं क्यो किसी फरेब को दानिशाबरी कहूँ ॥
रहे वफा में पाँव से लिपटे गुबार को
तुम गंदगी कहे मैं इसे चांदनी कहूँ ॥
आ बैठ मेरे पास यारो के दरम्याँ
कब तक तुम्हें अब मियां अजनबी कहूँ ॥