पत्नी सो रही थी, उसके पैरों पर एक नागिन कुण्डली लगा के बैठी थी। पति धीरे से बोला: डस ले... डस ले...
नागिन बोली: कमीने! चरण स्पर्श करने आई हूँ। गुरु हैं हमारी।

इश्क़ में कोई खोज नहीं होती
यह हर किसी से हर रोज नहीं होती
अपनी जिंदगी में हमारी मौजूदगी को बेवजह मत समझना
क्योंकि पलके कभी आँखों पर बोझ नहीं होती

तूने देखा है कभी एक नज़र शाम के बाद
कितने चुपचाप से लगते हैं शज़र शाम के बाद
तू है सूरज तुझे मालूम कहाँ रात का दुख
तू किसी रोज़ मेरे घर में उतर शाम के बाद

जिंदगी के हर मोड़ पर
सुनहरी यादों के एहसास रहने दो.
सुरूर दिल में,जुबान पे मिठास रहने दो.
येही फलसफा हो जीने का,
न खुद रहो उदास
न किसी और को रहने दो.

अगर मुझसे मोहब्बत नही तो रोते क्यूँ हो?
तन्हाई में मेरे बारे में सोचते क्यूँ हो?
अगर मंज़िल जुदाई है तो जाने दो मुझे,
“लौट के कब आओगे” पूछते क्यूँ हो?

तुझे खोकर हम भूल गये ये जहां सारा
आंखें कुछ नम सी हो गयीं तुझे देखे बिना
ये दिल भी कहीं लगता नहीं तुम्हारे सिवा
जिंदगी आगे बड़ती नहीं तुम्हें अब पाये बिना

रिश्तोँ की हकीकत कोई क्या समझेगा
दिलोँ की जरूरत को कोई क्या समझेगा
मेरे दोस्त की मुस्कुराहट ही तो मेरी जिंदगी है
इस मुस्कुराहट की कीमत कोई क्या समझेगा.

साँसों मे मेरे कुछ  अजीब सी कशिश है आज जाना
शायद ये तुम्हारे साँसों को महसूस कर रहा है
आँखें मेरी तुम्हारी राहों पे आके थम गयी हैं
और ये दिल, तुम्हारे आने का इंतेज़ार कर रहा है

कौन था व जो मुझको पहचान देकर चलदिया
वेरिदा तहरीर को उन्वान देकर चल दिया ॥
भूखे बच्चो को केवल हसरत थी वासर रोटिंया
मैं उन्हें पत्थर का एक भगवन देकर चल दिया ॥
आख़िरी रात के सफर में गैर भी कुछ साथ थे
अपनेपन का मैं उन्हें सम्मान देकर चल दिया ॥
उसने शिरकत की थी अश्को की तिजारत में मगर
तनहा मुझको छोड़कर नुकसान देकर चल दिया ॥
सर्द संनाहे में दिल को आरजू थी गीत की
राज था व कौन जो तूफान देकर चल दिया ॥

Pyar Zindgi Ka Woh khubsurat Waqt Hota Hai
Jiske Har Lamhe Ki Kimat Hum Ansuon Se Chukate Hain

Humko Auron Ki Parwah Nahi Ye Duniya Hi Aisi Hai
Shikwe To Unse Hain Jo Apne Ho Kar Bhi Yaad Nahi Karte

खुद ही दे जाओगे तो बेहतर है
वरना हम दिल चुरा भी लेते हैं
G.R..s

माना कि मरता नहीं कोई जुदाई में
लेकिन जी भी तो नहीं पाता तन्हाई में

तेरे दिल तक पहुँचे मेरे लिखे हर लब्ज
बस इसी मकसद से मेरे हाथ कलम पकड़ते है

इसी कशमकश में कट जाती है हर रात
कि शायद आने वाली सुबह कुछ खुशियाँ लेकर आएगी