सच्चे दोस्त की एक निशानी-
वो आपकी आँखों में उस वक्त दर्द देख लेता है,
जब दुनिया आपसे कह रही होती है की,
यार तुम मुस्कुराते बहुत हो!

जिंदगी मैं कुछ सपने सजा लेना,
वक़्त मैं कुछ अरमान जगा लेना,
हम आपकी राह से हर दर्द चुरा लेंगे,
आप जब चाहे हमारी दोस्ती को आजमा लेना

एक फूल की तमन्ना थी कभी,
काश वो डाल झुक जाती तो क्या था,
ज़िन्दगी के किसी मोड़ पे जब हम साथ थे,
काश ज़िन्दगी वहीँ रुक जाती तो क्या था…

ख्वाबो में मेरे आप रोज आते हो
कभी दर्द, कभी खुशियाँ दे जाते हो
कितना प्यार करते हो आप मुझ से
शिर्फ़ मेरे इस सवाल का जबाब टाल जाते हो

तुमसे क्या शिकवा ए दोस्त बेवफाई का जब मुझसे मेरा नसीब ही रूठ गया
सच तो ये है दोस्त मैं तो वो खिलौना हूँ जो बदनसीब खेल ही खेल में टूट गया

ये आरजू नहीं कि किसी को भुलायें हम,
न तमन्ना कि किसी को रुलाये हम.
पर दुआ है उस रब से,
जिसको जितना याद करते हैं,
उसको उतना याद आयें हम.

ज़िंदगी में बार बार सहारा नही मिलता बार बार कोई प्यार से प्यारा नही मिलता
है जो पास उसे संभाल के रखना खो कर वो फिर कभी दुबारा नही मिलता

सब ने चाहा कि उसे हम ना मिलें;
हम ने चाहा उसे ग़म ना मिलें;
अगर ख़ुशी मिलती है उसे हम से जुदा होकर;
तो दुआ है ख़ुदा से कि उसे कभी हम ना मिलें।

अपने दिल की बात उनसे कह नहीं सकते;
ग़म जुदाई का भी सह नहीं सकते;
ऐ ख़ुदा कुछ ऐसी तक़दीर बना;
वो खुद आकर हमसे कहें हम आपके बिना रह नहीं सकते।

किस हद तक जाना है ये कौन जानता है
किस मंजिल को पाना है ये कौन जानता है
दोस्ती के दो पल जी भर के जी लो
किस रोज़ बिछड जाना है ये कौन जानता है

क्या बताऊं ये क़यामत क्या है,
मैंने घबरा के कहा रूठ जाना तेरा.
“मौत कहते है किसे”, जब मुझसे पूच्छा,
मैंने आंखे झुका कर कहा छोड़ जाना तेरा.

अब भी ताज़ा हैं जख्म सीने में​;​
बिन तेरे क्या रखा हैं जीने में​;
हम तो जिंदा हैं तेरा साथ पाने को​;
वर्ना देर कितनी लगती हैं जहर पीने में।

बस यही दो मसले जिंदगीभर ना हल हुए
ना नींद पूरी हुई ना ख्वाब मुकम्मल हुए
वक़्त ने कहा काश थोड़ा और सब्र होता
सब्र ने कहा काश थोड़ा और वक़्त होता

हम इस कदर मर मिटेंगे;
तुम जहाँ देखोगे हम वहीं दिखेंगे;
रखना हर पल इस दिल में हमारी याद;
हमारे बाद हमारे दिल की दास्ताँ दुनिया वाले लिखेंगे।

​आपसे रोज़ मिलने को दिल चाहता है​​;​
​ कुछ सुनने सुनाने को दिल चाहता है​​;​
​ था आपके मनाने का अंदाज़ ऐसा​​;​
​ कि फिर रूठ जाने को दिल चाहता है​।