बच्चे जब बड़े हो जाते है
बाप के सर पर खड़े हो जाते है

कांटे तो नसीब में आने ही थे
फूल जो हमने गुलाब चुना था

मेरे हर किस्से में तुम आते हो
पर मेरे हिस्से में कब आओगे

तू अभी और भी तनहा होगी:
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मैं अभी और भी याद आने वाला हूँ.
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सुनो तुम क्युँ मरते हो मुझ पे
मैँ तो जिन्दा ही तुम से हुँ

तड़पती देखता हूँ जब कोई चीज
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उठा लेता हूँ अपना दिल समझ कर

उसने देखा ही नहीं अपनी हथेली को कभी; उसमे हलकी सी लकीर मेरी भी थी!

हमे सिंगल रेहने का शौक नही
हमारा तेवर झेल सके वो आज तक मिली नही

तुम पढते हो इसलिए लिखता हूँ
वरना कलम से अपनी कुछ ख़ास दोस्ती नहीं

तेरी चुप्पी अगर तेरी कोई मज़बूरी है; तो रहने दे इश्क़ कौन सा ज़रूरी है।

हजार गम मेरी फितरत नही बदल सकते
क्या करू मुझे आदत हे मुस्कुराने की

हर एक चेहरा यहाँ पर गुलाल होता है
हमारे शहर मैं पत्थर भी लाल होता है

अब तक याद कर रही हो, पागल हो तुम.
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उसने तो तेरे बाद भी हजारों भुला दिय

मौसम बदलते, बदलती ये परछाईया,
ना बदले कभी ये दोस्ती-यारियां…!!
🙏🙏🙏

आप पहलू में जो बैठें तो संभल कर बैठें; दिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की।