मैं तेरे प्यार में इतना ग़ुम होने लगा हूँ; जहाँ भी जाऊं बस तुम्हें ही सामने पाने लगा हूँ; हालात यह हैं कि हर चेहरे में तू ही तू दिखता है; ऐ मेरे खुदा अब तो मैं खुद को भी भुलाने लगा हूँ।

हम उस से थोड़ी दूरी पर हमेशा रुक से जाते हैं; न जाने उस से मिलने का इरादा कैसा लगता है; मैं धीरे धीरे उन का दुश्मन-ए-जाँ बनता जाता हूँ; वो आँखें कितनी क़ातिल हैं वो चेहरा कैसा लगता है।

मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन; आवाजों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने कौन; सदियों सदियों वही तमाशा रस्ता रस्ता लम्बी खोज; लेकिन जब हम मिल जाते हैं खो जाता है जाने कौन।

जो एक बार दिल में बस जाये उसे हम निकाल नहीं सकते; जिसे दिल अपना बना ले उसे फिर कभी भुला नहीं सकते; वो जहाँ भी रहे ऐ खुदा हमेशा खुश रहे; उनके लिए कितना प्यार है हमें ये कभी हम जता नहीं सकते।

उधर ज़ुल्फ़ों में कंघी लग रही है और ख़म निकलता है; इधर रग-रग से खिंच-खिंच के हमारा दम निकलता है; इलाही ख़ैर कर उलझन पे उलझन पड़ती जाती है; ना उनका ख़म निकलता है ना अपना दम निकलता है। ख़म - उलझन

अपने घर की खिड़की से मैं आसमान को देखूँगा; जिस पर तेरा नाम लिखा है उस तारे को ढूँढूँगा; तुम भी हर शब दिया जला कर पलकों की दहलीज़ पर रखना; मैं भी रोज़ एक ख़्वाब तुम्हारे शहर की जानिब भेजूँगा।

उनके लबो पर देखो फिर आज मेरा नाम आया है; लेकर नाम मेरा देखो महबूब आज कितना शरमाया है; पूछे मेरी ये आँखे उनसे कि कितनी मोहब्बत है मुझसे; बोले वो पलके झुका कि मेरी हर साँस में बस तू ही समाया है।

खफा न होना हमसे अगर तेरा नाम जुबां पर आ जाये; इंकार हुआ तो सह लेंगे और अगर दुनिया हंसी तो कह देंगे; कि मोहब्बत कोई चीज़ नहीं जो खैरात में मिल जाये; चमचमाता कोई जुगनू नहीं जो हर रात में मिल जाये;

संगमरमर के महल में तेरी ही तस्वीर सजाऊंगा; मेरे इस दिल में ऐ प्यार तेरे ही ख्वाब सजाऊंगा; यूँ एक बार आजमा के देख तेरे दिल में बस जाऊंगा; मैं तो प्यार का हूँ प्यासा जो तेरे आगोश में मर जाऊॅंगा।

आँखें मुझे तलवे से मलने नहीं देते; अरमान मेरे दिल के निकलने नहीं देते; खातिर से तेरी याद को टलने नहीं देते; सच है कि हमीं दिल को संभलने नहीं दते; किसी नाज़ से कहते हैं झुंझला के शब-ए-वस्ल; तुम तो हमें करवट भी बदलने नहीं देते।