इश्क़ में हर लम्हा ख़ुशी का एहसास बन जाता है; दीदार-ए-यार भी खुदा का दीदार बन जाता है; जब होता है नशा मोहब्बत का; तो अक्सर आईना भी ख्वाब बन जाता है।

किसी की खातिर मोहब्बत की इन्तहा कर दो; लेकिन इतना भी नहीं कि उसको खुदा कर दो; मत चाहो किसी को टूट कर इस कदर; कि अपनी ही वफाओं से उसको बेवफा कर दो।

अरे आप क्यों नहीं समझते हो सनम; दिल का दर्द दबता नहीं है दबाने से; आपको मोहब्बत का इज़हार करना ही पड़ेगा; क्योंकि मोहब्बत छुपती नहीं छुपाने से।

दो दिलो की मोहब्बत से जलते हैं लोग; तरह-तरह की बातें तो करते हैं लोग; जब चाँद और सूरज का होता है खुलकर मिलन; तो उसे भी सूर्य ग्रहण तक कहते हैं लोग!

जख्म बन जाने की आदत है उन्हें; रुला कर मुस्कुराने की आदत है उन्हें; मिलेंगे कभी तो खूब रुलाएंगे; सुना हैं रोते हुए लिपट जाने की आदत है उन्हें।

इश्क़ फिर वो रंग लाया है कि जी जाने है; दिल का ये रंग बनाया है कि जी जाने है; नाज़ उठाने में जफ़ाएं तो उठाई लेकिन; लुत्फ़ भी ऐसा उठाया है कि जी जाने है।

वो सामने थी और हम पलके उठा ना सके; चाहते थे पर पास उनके जा ना सके; ना देख ले वो अपनी तस्वीर हमारी आँखों में; बस यही सोच कर हम उनसे नज़रे मिला ना सके।

करिये तो कोशिश हमको याद करने की; फुर्सत के लम्हे तो अपने आप मिल जायेंगे; दिल में अगर है चाहत हमसे मिलने की; बहाने मिलने के खुद-ब-खुद बन जायेंगे।

किसी के दिल में बसना कुछ बुरा तो नहीं ! किसी को दिल में बसाना कोई खता तो नहीं ! गुनाह हो यह ज़माने की नज़र में तो क्या ! ज़माने वाले कोई खुदा तो नहीं !

​न​ज़​रे​ मिले तो प्यार हो जाता है; पलके उठे तो इज़हार हो जाता हैं; ना जाने क्या कशिश हैं चाहत में; कि कोई अनजान भी हमारी; जिंदगी हक़दार हो जाता है।

कब तक वो मेरा होने से इंकार करेगा; खुद टूट कर वो एक दिन मुझसे प्यार करेगा; इश्क़ की आग में उसको इतना जला देंगे; कि इज़हार वो मुझसे सर-ए-बाजार करेगा।

प्यार में कोई तो दिल तोड़ देता है; दोस्ती मेँ कोई तो भरोसा तोड़ देता है; जिंदगी जीना तो कोई गुलाब से सीखे; जो खुद टूट कर दो दिलों को जोड़ देता है।

दिल के लुट जाने का इज़हार ज़रूरी तो नहीं; यह तमाशा सरे बाजार ज़रूरी तो नहीं; मुझे था इश्क़ तेरी रूह से और अब भी है; जिस्म से कोई सरोकार ज़रूरी तो नहीं।

तुम बिन ज़िंदगी सूनी सी लगती है; हर पल अधूरी सी लगती है; अब तो इन साँसों को अपनी साँसों से जोड़ दे; क्योंकि अब यह ज़िंदगी कुछ पल की मेहमान सी लगती है।

चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो; सांसों में मेरी खुशबु बन के बिखर जाते हो; कुछ यूँ चला है तेरे इश्क का जादू; सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो।