यूँ तो तमन्नाएं दिल में ना थी हमें लेकिन; ना जाने तुझे देखकर क्यों आशिक़ बन बैठे; बंदगी तो खुदा की भी करते थे लेकिन; ना जाने क्यों हम काफ़िर बन बैठे।

लाख बंदिशें लगा दे यह दुनिया हम पर; मगर दिल पर काबू हम कर नहीं पायेंगे; वो लम्हा आखिरी होगा हमारी ज़िन्दगी का; जिस पल हम तुझे इस दिल से भूल जायेंगे।

बस यही दो मसले ज़िन्दगी भर ना हल हुए
ना नींद पूरी हुई ना ख्वाब मुकम्मल हुए
वक़्त ने कहा काश थोड़ा और सब्र होता
सब्र ने कहा काश थोड़ा और वक़्त होता

जाने कहाँ थे और और चले थे कहाँ से हम; बेदार हो गए किसी ख्वाब-ए-गिराँ से हम; ऐ नौ-बहार-ए-नाज़ तेरी निकहतों की खैर; दामन झटक के निकले तेरे गुलसिताँ से हम।

तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ; ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ; मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी; सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।

जो दिल से करीब हो उसे रुसवा नहीं कहते; यूं अपनी मोहब्बत का तमाशा नहीं करते; खामोश रहेंगे तो घुटन और बढ़ेगी; इसलिए अपनों से कोई बात छुपाया नहीं करते!

इस कदर हम उनकी मुहब्बत में खो गए! कि एक नज़र देखा और बस उन्हीं के हम हो गए! आँख खुली तो अँधेरा था देखा एक सपना था! आँख बंद की और उन्हीं सपनो में फिर सो गए!

क्या इश्क़ एक ज़िंदगी-ए-मुस्तआर का; क्या इश्क़ पाएदार से ना-पाएदार का; वो इश्क़ जिस की शमा बुझा दे अजल की फूँक; उस में मज़ा नहीं तपिश-ओ-इंतिज़ार का।

आँखों से आँखें मिलाकर तो देखो; हमारे दिल से दिल मिलाकर तो देखो; सारे जहान की खुशियाँ तेरे दामन में रख देंगे; हमारे प्यार पर ज़रा ऐतबार करके तो देखो।

अपनी ज़िन्दगी में मुझ को करीब समझना; कोई ग़म आये तो उस ग़म में भी शरीक समझना; दे देंगे मुस्कुराहट आँसुओं के बदले; मगर हज़ारों में मुझे थोड़ा अज़ीज़ समझना।

वफ़ा का लाज हम वफा से निभायेगें; चाहत के दीप हम आँखों से जलाएंगे; कभी जो गुजरना हो तुम्हें दूसरे रास्तों से; हम फूल बनकर तेरी राहों में बिखर जायेंगे!

मुझे भी अब नींद की तलब नहीं रही; अब रातों को जागना अच्छा लगता है; मुझे नहीं मालूम वो मेरी किस्मत में है या नहीं; मगर उसे खुदा से माँगना अच्छा लगता है।

किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों है? जो नहीं मिल सकता उसी से मुहब्बत क्यों है? कितने खायें है धोखे इन राहों में! फिर भी दिल को उसी का इंतजार क्यों है?

तू ही बता ए दिल तुम्हें समझाऊं कैसे; जिसे चाहता है तू उसे नज़दीक लाऊँ कैसे; यूँ तो हर तमन्ना हर एहसास है वो मेरा; मगर उस एहसास को ये एहसास दिलाऊं कैसे।

तेरे बिना टूट कर बिखर जायेंगे; तुम मिल गए तो गुलशन की तरह खिल जायेंगे; तुम ना मिले तो जीते जी ही मर जायेंगे; तुम्हें जो पा लिया तो मर कर भी जी जायेंगे।