मैंने अपनी हर एक सांस तुम्हारी गुलाम कर रखी है; लोगो में ये ज़िन्दगी बदनाम कर रखी है; अब ये आइना भी किस काम का मेरे; मैंने तो अपनी परछाई भी तुम्हारे नाम कर रखी है।
मैंने अपनी हर एक सांस तुम्हारी गुलाम कर रखी है; लोगो में ये ज़िन्दगी बदनाम कर रखी है; अब ये आइना भी किस काम का मेरे; मैंने तो अपनी परछाई भी तुम्हारे नाम कर रखी है।
किसी का क्या जो क़दमों पर जबीं-ए-बंदगी रख दी; हमारी चीज़ थी हमने जहां जानी वहां रख दी; जो दिल माँगा तो वो बोले ठहरो याद करने दो; ज़रा सी चीज़ थी हमने जाने कहाँ रख दी!
तेरे बगैर इस ज़िन्दगी की हमें जरुरत नहीं; तेरे सिवा हमें किसी और की चाहत नहीं; तुम ही रहोगे हमेशा मेरे दिल में; किसी और को इस दिल में आने की इजाज़त नहीं।
कभी दोस्ती कहेंगे कभी बेरुख़ी कहेंगे; जो मिलेगा कोई तुझसा उसे ज़िन्दगी कहेंगे; तेरा देखना है जादू तेरी गुफ़्तगू है खुशबू; जो तेरी तरह चमके उसे रोशनी कहेंगे।
यूँ ही तो नहीं दिल मेरा तुझे तलाशता फिरता; कर यकीन मंज़िल का तू ही है किनारा मेरा; यूँ ही तो नहीं आयी सदा तेरी हवाओं में बह कर; हौले से तूने ही होगा नाम पुकारा मेरा।
ना मैं ख्याल में तेरे ना मैं गुमान में हूँ; यकीन दिल को नहीं है कि इस जहान में हूँ; खुदाया रखियेगा दुनिया में सरफ़राज़ मुझे; मैं पहले इश्क़ के पहले इम्तिहान में हूँ।
मैंने अपनी हर एक सांस तुम्हारी गुलाम कर रखी है; लोगों में ये ज़िन्दगी बदनाम कर रखी है; अब ये आइना भी क्या काम का मेरे; मैंने तो अपनी परछाई भी तुम्हारे नाम कर रखी है।
कहा ये किसने कि फूलों से दिल लगाऊं मैं; अगर तेरा ख्याल ना सोचूं तो मर जाऊं मैं; माँग ना मुझसे तू हिसाब मेरी मोहब्बत का; आ जाऊं इम्तिहान पर तो हद्द से गुज़र जाऊं मैं।
अगर तुम किसी को दिल की गहराइयों से चाहों; तो ये उम्मीद मत करो कि वो भी तुम्हे चाहे; लेकिन चाहों उसे इस कदर टूट के कि; तुम्हारे सिवा किसी और का प्यार उसे पसंद ही न आए।
मैं अल्फाज़ हूँ तेरी हर बात समझता हूँ; मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ; कब पूछा मैंने कि क्यूँ दूर हो मुझसे; मैं दिल रखता हूँ तेरे हालात समझता हूँ।
ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो; नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें; अब न वो मैं हूं न तू है न वो माज़ी है फ़राज़ जैसे दो साये तमन्ना के सराबों में मिलें।
कहीं बेहतर है तेरी अमीरी से मुफलिसी मेरी; चंद सिक्कों के लिए तुने क्या नहीं खोया है; माना नहीं है मखमल का बिछोना मेरे पास; पर तु ये बता कितनी राते चैन से सोया है।
ज़रा साहिल पे आकर वो थोड़ा मुस्कुरा देती; भंवर घबरा के खुद मुझ को किनारे पर लगा देता; वो ना आती मगर इतना तो कह देती मैं आँऊगी; सितारे चाँद सारा आसमान राह में बिछा देता।
तेरी आवाज़ की शहनाइयों से प्यार करते हैं; तस्सवुर मैं तेरे तन्हाइयों से प्यार करते हैं; जो मेरे नाम से तेरे नाम को जोड़े ज़माने वाले; उन चर्चों से अब हम प्यार करते हैं।
ज़माने भर में आशिक कोई हमसा नही होगा; खूबसूरत सनम भी कोई तुमसा नहीं होगा; मर भी जाये उसकी बाहों में तो कोई गम नही यारो; क्योंकी उसके आँचल से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होगा।