वो सामने आये तो अज़ब तमाशा हुआ; हर शिकायत ने जैसे ख़ुदकुशी कर ली।

काश ये मोहब्बत ख्वाब सी होती,
.
बस आँख खुलती और किस्सा खत्म ।

मुझे कहनी है तुमसे इक बात
दास्तान लबो से सुनोगे या निगाहो से

ये तो कहिए इस ख़ता की क्या सज़ा; मैं जो कह दूँ आप पर मरता हूँ मैं।

बड़े ही अच्छे हुआ करते थे वो दिन
जिनमे तेरा आना जाना लगा रहता था

वो थे न मुझसे दूर न मैं उनसे दूर था; आता न था नज़र तो नज़र का कुसूर था।

ना वो मिलती है, ना मैं रुकता हूँ;
पता नहीं रास्ता गलत है, या मंजिल!

वो पूछते हैं क्या नाम है मेरा
मैंने कहा बस "अपना" कहकर पुकार लो

आये जो वो सामने तो अज़ब तमाशा हुआ; हर शिकायत ने जैसे ख़ुदकुशी कर ली।

अगर हो सके तो वापस कर दो वो हमें; जिस दिल के बिना हमारा दिल नहीं लगता!

ना पूछ दिल की हक़ीक़त मगर ये कहता है; वो बेक़रार रहे जिसने बेक़रार किया।

है इश्क़ की मंज़िल में हाल के जैसे; लुट जाए कहीं राह में सामान किसी का।

तुम्हारे पास नहीं तो फिर किस के पास है? वो टुटा हुआ दिल आखिर गया कहाँ!

एक नींद है जो रात भर नहीं आती,
और एक नसीब है, जो ना जाने कब से सो रहा है..

वो कहते हैं मुझसे कोई और बात करो; लाऊँ कहाँ से बात अब उनकी बात के सिवा।