वो कहीं भी गया लौटा तो मेरे पास आया; बस यही बात अच्छी है मेरे हरजाई की।

काबील नजरो के लीये हम जान दे दे पर
कोई गुरुर से देखे ये हमे मंजुर नही

मैं खुद पहल करूँ या उधर से हो इब्तिदा; बरसों गुज़र गए हैं यही सोचते हुए।

नीँद मे भी गिरते है मेरे आँसु,
जब भी तुम ख्वाब मे मेरा साथ छोड देते हो..

तोड़ कर देख लिया आईना-ए-दिल तूने;​ तेरी सूरत के सिवा और बता क्या निकला​।

अक्सर पूछते है लोग किसके लिए लिखते हो
अक्सर कहता है दिल काश कोई होता

ये डूबने वाले का ही होता हे कोई फन; आँखों में किसी के भी समंदर नहीं होता!

ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्रो-करार; बेक़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी।

पार्लर जाके रंग तो गोरा कर लोगी पर क्या करोगी
तुम अपने इस काले दिल का

क्या ज़रूरी है कि हम हार के जीतें तबिश ; इश्क़ का खेल बराबर भी तो हो सकता है!

ये वफ़ा तो उस वक्त की बात है ऐ फ़राज़; जब मकान कच्चे और लोग सच्चे हुआ करते थे!

दिल की आवाज से नगमें बदल जाते हैं.:
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साथ ना दें तो अपने बदल जाते हैं..
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मेरे इन होंठों पर तेरा नाम अब भी है; भले छीन ली तुमने मुस्कुराहट हमारी।

अगर इश्क़ गुनाह है गुनाहगार है खुदा; जिसने बनाया दिल किसी पर आने के लिए।

महोब्बत और नफरत सब मिल चुके हैं मुझे; मैं अब तकरीबन मुकम्मल हो चोका हूँ!