कल रात मैंने अपने सारे ग़म कमरे की दीवारों पे लिख डाले
बस हम सोते रहे और दीवारें रोती रहीं

"खूबसूरती से धोका न खाइये जनाब..
तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो...
मांगती तो........ खून ही हे"..

टूटता हुआ तारा सबकी दुआ पूरी करता है..
क्यों के उसे टूटने का दर्द मालूम होता है….!
गुड नाईट

यूँ किस बात का इन्तकाम है तेरा, मेरे दोस्त,
तेरा देख के ना देखने का अंदाज तौबा मेरे सब्र की।

दिलासा देते है लोग कि यू हर वक्त रोया न करो
मै कैसे बताऊँ कि कुछ दर्द सहने के काबिल नही होते

शोख नहीं है मुझे फ़ोटो खिंचाने का, पर क्या करू, मेरी रानी को मेरा फ़ोटो देखे बिना नींद नहीं आती....

उनको डर है कि हम उन के लिए जान नही दे सकते
और मुझे खोफ़ है कि वो रोएंगे बहुत मुझे आज़माने के बाद

उनको डर है कि हम उन के लिए जान नही दे सकते
और मुझे खोफ़ है कि वो रोएंगे बहुत मुझे आज़माने के बाद

वो जो कहते थे मिटा देगे हर याद मेरी दिल से
सुना है फकीरा उन से मेरा नाम तक न लिख कर मिटाया गया

जान जब प्यारी थी कम्बखत उस वक्त वो भी हमारी थी
आज जब मरने का शोक है तो एक भी क़ातिल नज़र नही आता

तुमने कहाँ हम याद नहीं आएँगे तुम्हें फिर
बताना ज़रा ये सुबह-सुबह हमारा ज़िक्र क्युँ बोलो

........."सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमने
"हसीन जिस कि जितनी अदा है वो उतना ही बेवफा है !!

वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत हैं,
वो रोज नया जख्म देती थी मेरी ख़ुशी के लिए…

स्क्रीन टच करने वाली तो हजारों मिली
yarro लेकिन तलाश है मुझे उस‪ छोरी‬ की जो दिल को‪ टच‬कर जाये

झुठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते हैं
तरक्की के बाज़ की उडान में कभी आवाज़ नहीं होती