वो दिन दिन नही..वो रात रात नही; वो पल पल नही जिस पल आपकी बात नही; आपकी यादों से मौत हमे अलग कर सके; मौत की भी इतनी भी औकात नही।

जाते वक्त बहोत गुरूर से कहा था उसने....
"तुम जैसे हजार मिलेंगे"
मैंने मुस्कुरा कर कहा.... " मुझ जैसे
की ही तलाश क्यों..?? "

बरसात आये तो ज़मीन गीली न हो धूप आये तो सरसों पीली न हो
ए दोस्त तूने यह कैसे सोच लिया कि तेरी याद आये और पलकें गीली न हों

बचपन में पिताजी के बटुए में हमेशा मेरी जरूरतों से ज्यादा पैसे रहते थे
ये कारनामा मैं कभी अपने बटुए से नहीं दिखा पाया

न वो आ सके न हम कभी जा सके! न दर्द दिल का किसी को सुना सके! बस बैठे है यादों में उनकी! न उन्होंने याद किया और न हम उनको भुला सके!

उस अजनबी का यूँ न इंतज़ार करो! इस आशिक दिल का न ऐतबार करो! रोज़ निकला करें किसी के याद में आंसू! इतना न कभी किसी से प्यार करो!

अगर हंसने मुस्कुराने के लिये आप ईश्वर का शुक्र नहीं करते
तो आँखों मे आये आँसुओं के लिये उससे शिकायत का कोई हक़ नहीं है

दोस्ती इन्सान की ज़रुरत है दिलों पर दोस्ती की हुकुमत है
आपके प्यार की वजह से जिंदा हूँ वरना खुदा को भी हमारी ज़रुरत है

,,, हमारे बिगड़ने का आलम क्या बताये ग़ालिब
पहले घर जाते वक़्त "PARLE G" खाते हुए जाते थे, और अब "बाबा इलाइची" खा के जाना पड़ता है😎😎😎

अगर जिंदगी में जुदाई ना होती; तो कभी किसी की याद आई ना होती; साथ ही गुजरता हर लम्हा तो शायद; रिश्तों में इतनी गहराई ना होती।

जो दिल का दर्द भुलाने के लिए शराब पीते है वो कभी साथ में नमकीन नही खाते
क्योंकि नमकीन तो दिलासा देने वाले ही खा जाते हैं

हर रात रो-रो के उसे भुलाने लगे; आंसुओं में उस के प्यार को बहाने लगे; ये दिल भी कितना अजीब है कि; रोये हम तो वो और भी याद आने लगे।

हर रात रो-रो के उसे भुलाने लगे; आंसुओं में उस के प्यार को बहाने लगे; ये दिल भी कितना अजीब है कि; रोये हम तो वो और भी याद आने लगे।

यादों की किम्मत वो क्या जाने; जो ख़ुद यादों को मिटा दिए करते हैं यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो यादों के सहारे जिया करते हैं!

सड़क पर बारात चल रही हो और सामने से बस आ जाये तो
बारात में से 15 लोग तुरुन्त ट्रैफिक पुलिस के हवलदार की भूमिका में आ जाते हैं