कब उनकी आँखों से इज़हार होगा; दिल के किसी कोने में हमारे लिए प्यार होगा; गुज़र रही है रात उनकी याद में; कभी तो उनको भी हमारा इंतज़ार होगा।

आज मुझे फिर इस बात का गुमान हो​;​ मस्जिद में भजन मंदिरों में अज़ान हो​;​​ खून का रंग फिर एक जैसा हो;​ तुम मनाओ दिवाली ​ ​मैं कहूं रमजान हो।

उसने हमसे पूछा तेरी रज़ा क्या है; क्यों करते हो पसंद वजह क्या है; कोई बताए उसे मेरी खता क्या है; जो वजह से करे पसंद किसी को उसमें मज़ा क्या है।

​राह मुश्किल हैं मगर दिल को आमदा तो करो;​​साथ चलने का मेरे तुम इरादा तो करो;दिल बहलता है मेरा तेरे वादों से;वादा ना करो कम से कम इरादा करो।

ऐ ख़ुदा मेरे रिश्ते में कुछ ऐसी बात हो; मैं सोचूँ उसको और वो मेरे साथ हो; मेरी सारी ख़ुशियाँ मिल जाएं उसको; एक लम्हें के लिए भी अगर वो उदास हो।

सब खुशियाँ तेरे नाम कर जायेंगे; ज़िंदगी भी तुझपे कुर्बान कर जायेंगे; तुम रोया करोगे हमें याद करके; हम तेरे दामन में इतना प्यार भर जायेंगे।

हम इस कदर मर मिटेंगे; तुम जहाँ देखोगे हम वहीं दिखेंगे; रखना हर पल इस दिल में हमारी याद; हमारे बाद हमारे दिल की दास्ताँ दुनिया वाले लिखेंगे।

ये चांदनी रात बड़ी देर के बाद आयी; ये हसीं मुलाक़ात बड़ी देर के बाद आयी; आज आये हैं वो मिलने को बड़ी देर के बाद; आज की ये रात बड़ी देर के बाद आयी!

प्यार आ जाता है आँखों में रोने से पहले; हर ख्वाब टूट जाता है सोने से पहले; इश्क है गुनाह यह तो समझ गए हम; काश कोई रोक लेता ये गुनाह होने से पहले!

आग के पास कभी मोम को ला कर देखू;​​हो इजाजत तो तुझे तुझे हाथ लगा कर देखू;​दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है;​​सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखू।

निकले जब आँसू उसकी आँखो से; दिल करता है सारी दुनिया जला दूं; फिर सोचता हूं होंगे दुनिया में उसके भी अपने; कहीं अंजाने में मैं उसे और ना रुला दूं।

आशिकी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब; दिल का क्या रंग करूँ खून-ए-जिगर होने तक; हम ने माना के तगाफुल ना करोगे लेकिन ; ख़ाक हो जायेंगे हम तुम को खबर होने तक!

चेहरे पर मरने वाले हज़ार मिल जायेंगे; कुछ लोग हर जरुरत पूरी कर जायेंगे; ख्वाहिश है उसकी जो दिल से समझे हमें; हम तो जिंदगी भी उसके नाम कर जायेंगे।

याद आती है तो ज़रा खो जाते है! आंसू आँखों में उतर आये तो ज़रा रो लेते है! नींद तो नहीं आती आँखों में लेकिन! वो ख्वाबों में आएंगे यही सोच कर सो लेते है!

आपको अपने ज़ख्म दिखाना चाहता हूँ मैं; मगर क्या करूँ बहुत ही दूर हैं आप; आपको चाहता हूँ बनाना साथी अपना; मगर मानता हूँ रस्मों के हाथों मजबूर हैं आप।