अभी-अभी वो मिला था हज़ार बातें कीं; अभी-अभी वो गया है मगर ज़माना हुआ।

यकीन करो आज इस कदर याद आ रहे हो तुम; जिस कदर तुम ने भुला रखा है मुझे।

मशवरा दे रहे हो इश्क़ का....
जनाब लगता है...
दिल अभी तक सलामत है आपका ....

जो तालाबों पर चौकीदारी करते हैँ
वो समन्दरों पर राज नहीं कर सकते

बिछड़ी हुई राहों से जो गुज़रे हम कभी; हर ग़म पर खोयी हुई एक याद मिली है।

तुम पढते हो इसलिए लिखता हूँ
वरना कलम से अपनी कुछ ख़ास दोस्ती नहीं

बिछड़ी हुई राहों से जो गुज़रे हम कभी; हर ग़म पर खोयी हुई एक याद मिल गयी।

मैंने अपनी मौत की अफवाह उड़ाई थी,
दुश्मन भी कह उठे आदमी अच्छा था...!!!

अब उस नासमझ को समझाना छोड़ दिया
अब उसकी नासमझी से भी प्यार हो गया

जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं
देखना ये है कि अब आग किधर लगती है

ऐ दिल सोजा अब तेरी शायरी पढ़ने
वाली अब किसी और शायर की गजल बन गयी है

कौन कहता है उसके बिना मैं मर जाऊंगा; दरिया हूँ सागर में उतर जाऊंगा।

न ज़ख्म भरे, न शराब सहारा हुई.,
न वो वापस लौटीं, न मोहब्बत दोबारा हुई..

सारे ताबीज गले में पहन कर देख लिए
आराम तो बस तेरे दीदार से ही मिला !!!

ज़िंदगी या तो अपना पता दे मुझको
वरना तू चाहती क्या है बता दे मुझको