हमे क्या पता था की मोहब्बत की राहों में गम ही गम मिलते हैं
ऐ सनम अगर हमे पता होता तो हम यु अपनी ज़िन्दगी तुम्हारे नाम न करते

मे तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती मे जवाब बनता अगर तू सबाल होती
सब जानते है मैं नशा नही करता मगर में भी पी लेता अगर तू शराब होती

कहते है ऊपर वाले ने हर किसी
के लिए किसी न किसी को बनाया है..
कही मेरे वाली ने आत्महत्या तो
नहीं करली…” “
मिलही नहीं रही...

क्यूँ रोज-रोज चुभोती हो अपनी यादों की सुई मेरे सीने में
ऐ जानेमन
बस एक बार मेरी रूह में उतर जाओ मै तो खुदबखुद ही मर जाऊंगा

​शाम सूरज को ढलना सिखाती है; शम्मा परवाने को जलना सिखाती है; गिरने वाले को तकलीफ तो होती है मगर; ठोकर इंसान को चलना सिखाती है।

अपनो को दूर होते देखा सपनो को चूर होते देखा
अरे लोग कहते हे फ़िज़ूल कभी रोते नही
हमने फूलोँ को भी तन्हाइयोँ मे रोते देखा

दोस्ती इन्सान की ज़रुरत है
दिलों पर दोस्ती की हुकुमत है
आपके प्यार की वजह से जिंदा हूँ
वरना खुदा को भी हमारी ज़रुरत है

वो हमारे नहीं तो क्या गम है
हम तो उन्हीं के है ये क्या कम है
ना गम कम है ना आँसू कम हैं
देखते है रूलाने वाले में कितना दम है

उदास लम्हों की न कोई याद रखना; तूफ़ान में भी वजूद अपना संभाल रखना; किसी की ज़िंदगी की ख़ुशी हो तुम; बस यही सोच तुम अपना ख्याल रखना।

लोग कहते है कि सुधर जाओ वरना जिदंगी रूठ जायेगी
हम कहतें है जिदंगी तो वैसे भी रूठी है पर हम सुधर गए तो.हमारी पहचान रूठ जायेगी

हम उम्मीदों की दुनियां बसाते रहे
वो भी पल पल हमे आजमाते रहे
जब मोहब्बत मे मरने का वक्त आया
हम मर गए और वो मूस्कूराते रहे

पूछ रही थी वो कल मुझसे:- क्या तुम मुझे याद करते हो
मुस्कराकर मैं बोला:-पागल याद करना इतना आसान होता तो
School में टॉप ना कर लेते हम

अर्ज अब भी है खुदा से ऐ बेवफा
मेरे दामन की दुआ तुझको मिल जाए
करना हो ख़ाक तेरा आशियाँ जिसको
वो बिजली मेरे नशेमन पे गिर जाए

दूरियाँ बढ़ाने को जब दिल मचलने लगे
किसी और का साथ रास आने लगे
तन्हाई में ठहर कर तलाशना मुझे
जब भी हर ओर अँधेरा सा छाने लगे

हमारी किसी बात से खफा मत होना, नादानी से हमारी नाराज़ मत होना. पहली बार चाहा है हमने किसी को इतना, चाह कर भी कभी हमसे दूर मत होना..