यादों में हमारी वो भी कभी खोए होंगे; खुली आँखों से कभी वो भी सोए होंगे; माना हँसना है अदा ग़म छुपाने की; पर हँसते-हँसते कभी वो भी रोए होंगे।

सब कुछ मिला सुकून की दौलत न मिली; एक तुझको भूल जाने की मोहलत न मिली; करने को बहुत काम थे अपने लिए मगर; हमको तेरे ख्याल से कभी फुर्सत न मिली।

ख्याल में आता है जब भी उसका चेहरा; तो लबों पे अक्सर फरियाद आती है; भूल जाता हूँ सारे गम और सितम उसके; जब भी उसकी थोड़ी सी मोहब्बत याद आती है।

हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली; कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली; सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ; वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली।

मेरी गुफ्तुगू के हर अंदाज़ को समझता है; एक वही है जो मुझ पे एतमाद रखता है; दूर होकर भी मुझसे वो है इतना क़रीब; ऐसा लगता है मेरे आस-पास रहता है।

दिल में छिपी यादो से संवारू तुझे
तू दिखे तो आँखों में उतारू तुझे
तेरे नाम को लबो पर ऐसे सजाया है
सो भी जाऊ तो ख्वाब में पुकारू तुझे

किसी ने हमसे पूछा कि वादों और यादो में क्या फर्क होता है? हमने बस इतना ही कहा कि `वादों को तो इंसान तोड़ देता है` पर `यादे इंसान को तोड़ देती है`!

बहुत अजब होती हैं यादें यह मोहब्बत की रोये थे जिन पलों में याद कर उन्हें हँसी आती है; और हँसे थे जिन पलों में अब याद कर उन्हें रोना आता है।

क्या अच्छा क्या बुरा क्या भला देखा; जब भी देखा तुझे अपने रु-बरु देखा; सोचा बहुत भूलकर भी सोचूँ ना तुझे; जिस रात आँख लगी फिर तुझे हर सू देखा।

वो चाँद है मगर आप से प्यारा तो नहीं; परवाने का शमा के बिन गुजारा तो नहीं; मेरे दिल ने सुनी है एक मीठी सी आवाज़; कहीं आपने मुझे पुकारा तो नहीं।

दिल की हालत बताई नहीं जाती; हमसे उनकी चाहत छुपाई नहीं जाती; बस एक याद बची है उनके चले जाने के बाद; हमसे तो वो याद भी दिल से निकाली नहीं जाती।

हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली; कुछ यादें मेरे संग पाँव पाँव चली; सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ; वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली।

तेरी आँखों में हमे जाने क्या नज़र आया! तेरी यादों का दिल पर सरुर है छाया! अब हमने चाँद को देखना छोड़ दिया! और तेरी तस्वीर को दिल में छुपा लिया!

यूँ तो कई बार भीगे बारिश में; मगर ख्यालों का आँगन सूखा ही रहा; जब आँखों की दीवारें गीली हुई उसकी यादो से; तब ही जाना हम ने बारिश क्या होती है!

जब भी तेरी यादों को आसपास पाता हूँ; खुद को हद दर्ज़े तक उदास पाता हूँ; तुझे तो मिल गई खुशियाँ ज़माने भर की; मै अब भी दिल में वही प्यास पाता हूँ।