किसी की यादों को रोक पाना मुश्किल है; रोते हुए दिल को मनाना मुश्किल है; ये दिल अपनों को कितना याद करता है; ये कुछ लफ़्ज़ों में बयां कर पाना मुश्किल है।

सारी उम्र आंखो मे एक सपना याद रहा;सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा;​​ना जाने क्या बात थी उनमे और हममे;​​सारी महफ़िल भूल गए बस वह चेहरा याद रहा ​। ​

तेरे बगैर इस जिंदगी की हमें जरुरत नहीं; तेरे सिवा हमें किसी और की चाहत नहीं; तुम ही रहोगे हमेशा मेरे दिल में; किसी और को इस दिल में आने की इजाजत नहीं।

जिन्‍दगी की राहों में बहुत से यार मिलेगें हम क्‍या हमसे भी अच्‍छे हजार मिलेगें
इन अच्‍छों की भीड में हमे ना भूला देना हम कहॉ आपको बार बार मिलेगें

साथ अगर दोगे तो मुस्कुराएगें जरूर; प्यार अगर दिल से करोगे तो निभाएंगे जरूर; राह में कितने भी कांटे क्यों न हो; आवाज़ अगर दिल से दोगे तो आयेंगे जरूर।

अपने दिल की सुन अफवाहों से काम ना ले; मुझे दिल में रख बेशक मेरा नाम ना ले; ये वहम है तेरा कि तुझे भूल जायेंगे हम; मेरी कोई ऐसी साँस नहीं जो तेरा नाम ना ले!

हसरत है सिर्फ तुम्हें पाने की, और कोई ख्वाहिश नहीं इस दीवाने की,
शिकवा मुझे तुमसे नहीं खुदा से है,
क्या ज़रूरत थी, तुम्हें इतना खूबसूरत बनाने की !!

ज़िक्र अक्सर तेरा ही आता हैं हर अफ़साने में; तुझे जान से ज्यादा चाहा हमने ज़माने में; तन्हाई में तेरा ही सहारा मिला; नाकाम रहे तुझे अक्सर हम भुलाने में।

दो दिलो की मोहब्बत से जलते हैं लोग;
तरह-तरह की बातें तो करते हैं लोग;
जब चाँद और सूरज का होता है खुलकर मिलन;
तो उसे भी "सूर्य ग्रहण" तक कहते हैं लोग!

कुछ यादगार-ए-शहर-ए-सितमगर ही ले चलें; आये हैं तो फिर गली में से पत्थर ही ले चलें; रंज-ए-सफ़र की कोई निशानी तो पास हो; थोड़ी-सी ख़ाक-ए-कूचा-ए-दिलबर ही ले चलें!

सिर्फ देख के किसी को दिल की बात नहीं होती; मुलाकात हो फिर भी कभी बरसात नहीं होती; जानते है तुम कभी हमारे ना हो पाओगे; फिर भी इस दिल में कभी रात नहीं होती।

आरज़ू होनी चाहिये किसी को याद करने की,
लम्हें तो अपने आप ही मिल जाते हैं ..
कौन पूछता है पिंजरे में बंद पंछियों को,
याद वही आते हैं, जो उड़ जाते हैं ….!

ज़िक्र उनका ही आता है मेरे फ़साने में; जिनको जान से ज्यदा चाहते थे हम किसी ज़माने में! तन्हाई में उनकी ही याद का सहारा मिला; जिनको नाकाम रहे हम भुलानें में!

तन्हा हो कभी तो मुझे ढूंढ लेना; इस दुनियां से नहीं अपने दिल से पूछ लेना; आपके आस पास ही कहीं रहते हैं हम; यादों से नहीं तो साथ गुज़ारे लम्हों से पूछ लेना​।

मेरे दुश्मन भी, मेरे मुरीद हैं शायद.
वक़्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं ,
मेरी गली से गुज़रते हैं छुपा के खंजर,
रु-ब-रु होने पर सलाम किया करते हैं !!! Er kasz