उठाये जो हाथ उन्हें मांगने के लिए,
किस्मत ने कहा, अपनी औकात में रहो।

निंदा तो उसी की होती है जो जिंदा है
मरे हुए कि तो बस तारीफ ही होती हैं

ये मासूमियत का कौन सा अन्दाज़ है,
पर काट कर कह दिया कि,अब तुम आजाद हो।

में लखेलो दई गया,पोते लखेलो लई गया,
छे हजी संबंध के ए पत्र बदलावी गया..!!

मैं जख्म जख्म हूँ जाकर मिलू कीससे ? नमक से तर कपडे यहाँ सब पहेने हुए हैं..

जिस घाव से खून नहीं निकलता,,
समज लेना वो ज़ख्म किसी
अपने ने ही दिया है...!!!

पगली तेरी ख़ामोशी, अगर तेरी मज़बूरी है,
तो रेहने दे, इश्क़ कोनसा जरुरी है. . .

सुनो तुम चाय अच्छी बनाती हो पर
मुंह बनाने मे भी तुम्हारा कोई जवाब नही

ज़ख़्मों के बावजूद मेरा हौसला तो देख
तू हँसी तो मैं भी तेरे साथ हँस दिया

सुधरी हे तो बस मेरी आदते वरना मेरे
शौक वो तो आज भी तेरी औकात से ऊँचे हैं

हम तो अब भी खडे है तेरे इनतजार मे,
उसी राह मे बेसबब बेइनतहा मोहब्बत लिए..

रोने से अगर वो मिल जाये तो,
भगवान की कसम ईस धरती पे सावन की बरसात लगा दूँ..

तेरे मुस्कुराने का असर सेहत पे होता है लोग पूछ लेते है..दवा का नाम क्या है !

चलती फिरती आँखों से अजां देखी है
मैने ज़न्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है

उसने जब से कहा है उस दिन दूर चली जाउंगी
ऐसा लगता है मौत का दिन तय हो गया हो