शौक था अपना-अपना..
किसी ने इश्क किया,
तो कोई जिंदा रहा…

जो लोग दर्द को समझते हैँ
वो कभी भी दर्द की वजह नहीँ बनते

कुछ तो अपने दिल को मोम करो
इतनी भी बेरुख़ी भला किस काम की

बस अब लकीर उलझी हुई है लकीर से
हाथों से ले गया है नसीब कोई

तेरी बातों से कुछ कम रह गयी थी
कल कुछ उस काजू-कतली की मिठास

जीँदगी हो या शतरंज मजा तभी आता है
जब रानी मरते दम तक साथ हो

ना शौहर बनाया न दीवाना बनाया
उसे कोई रिश्ता ना निभाना आया

हम तो तराश देते पत्थरो को भी
उसे हम मोम को भी ना पिघलाना आया

तु होगी चाँद का टुकडा ,
पर मे भी मेरे पापा का जीगर का टुकडा हु..

जो सच है वो छुपा लेते हो मुझसे
तुम्हे तो अखबार होना चाहिए था

मरने की लाखो वजह देती है दुनिया
पर जीने की वजह तो बस एक तू है ..!!

हाथ मे बस एक बासुँरी कि कमी है वरना
गोपिया हमने भी कई फसाई है

..........कुछ लोग बहुत ही अच्छे होते हैं......
........जैसे आप
मुझे ही देख लें......

कहाँ चल दिए मुझको लिखना सीखा कर
कोई लिख रहा है तुमको याद करके

जो मैं रूठ जाऊँ तो तुम मना लेना,
कुछ न कहना बस सीने से लगा लेना।