अर्ज़ किया है: इतना कमजोर हो गए तेरी जुदाई में; इतना कमजोर हो गए तेरी जुदाई में; कि अब तो चींटी भी खींच ले जाती है चारपाई से।

अगर जिंदगी में जुदाई न होती; तो कभी किसी की याद न आई होती; अगर साथ गुजरा होता हर लम्हा; तो शायद रिश्तों में इतनी गहराई न होती।

जब भी तेरे बिना रात होती है; दीवारों से अक्सर बात होती है; सन्नटा पूछता है हमारा हाल हम से; और बस तेरे नाम से ही शुरुआत होती है।

जलते हुए दिल को और मत जलाना; रोती हुई आँखों को और मत रुलाना; आपकी जुदाई में हम पहले ही मर चुके हैं; मरे हुए इंसान को और मत मारना।

हम तेरे दिल में रहेंगे एक याद बनकर; तेरे लब पे खिलेंगे मुस्कान बनकर; कभी हमें अपने से जुदा न समझना; हम तेरे चलेंगे आसमान बनकर।

तमन्ना से नहीं तनहाई से डरते हैं; प्यार से नहीं रुसवाई से डरते हैं; मिलने की तो बहुत चाहत है; पर मिलने के बाद जुदाई से डरते हैं।

यह सफ़र दोस्ती का कभी ख़त्म न होगा; दोस्तों से प्यार कभी कम न होगा; दूर रहकर भी जब रहेगी महक इसकी; हमें कभी बिछड़ने का ग़म न होगा!

लम्हें जुदाई को बेकरार करते हैं; हालात मेरे मुझे लाचार करते हैं; आँखे मेरी पढ़ लो कभी; हम खुद कैसे कहें कि आपसे प्यार करते हैं।

ग़म ने हंसने ना दिया ज़माने ने रोने ना दिया; इस उलझन ने जीने ना दिया; थक के जब सितारों से पनाह ली; नींद आई तो आपकी याद ने सोने ना दिया।

दिल की धड़कन को एक लम्हा सबर नहीं; शायद उसको अब मेरी ज़रा भी कदर नहीं; हर सफर में मेरा कभी हमसफ़र था वो; अब सफर तो है मगर वो हमसफ़र नहीं।

तू मेरा सपना मेरा अरमान है; पर शायद तू अपनी अहमियत से अनजान है; मुझसे कभी भी रूठ मत जाना; क्योंकि मेरी दुनिया तेरे बिना वीरान है।

रंजिश ही सही दिल को दुखाने के लिए आ; आ फिर से मुझे छोड़ जाने के लिए आ; कुछ तो मेरे इश्क़ का रहने दे भरम; तू भी तो कभी मुझे मनाने के लिए आ।

जगाया उन्होंने ऐसा के अब तक सो न सके; रुलाया उन्होंने ने फिर भी हम रो न सके; न जाने क्या बात थी उन में; जो अब तक हम किसी के भी न हो सके।

तमन्ना से नहीं तन्हाई से डरते हैं; प्यार से नहीं रुसवाई से डरते हैं; मिलने की चाहत तो बहुत है पर; मिलने के बाद की जुदाई से डरते हैं

हमें तो अपना दिल लगता अवारा है; जो चाहे चला जाए हमें ठुकरा के; रह लेंगे हम तो बस यूँ ही तन्हा; बस एक आपके जाने से रह जाएंगे हम तड़प के।