जब कभी दिल को वो यादों से रिहाई देगा; मेरे अंदर कोई तूफ़ान सुनाई देगा; उस से मिलते ही ये एहसास हुआ था मुझ को; ये वही शख्स है जो लम्बी जुदाई देगा।

गुज़र गए हैं बहुत दिन रफ़ाक़त-ए-शब में; इक उम्र हो गयी चेहरा वो चाँद सा देखे; तेरे सिवा भी कई रंग खुश नज़र थे मगर; जो तुझ को देख चुका हो वो और क्या देखे।

तुझे पाने की आरज़ू में तुझे गंवाता रहा हूँ; रुस्वा तेरे प्यार में होता रहा हूँ; मुझसे ना पूछ तू मेरे दिल का हाल; तेरी जुदाई में रोज़ रोता रहा हूँ।

तपिश से बच कर घटाओं में बैठ जाते हैं; गए हुए की सदाओं में बैठ जाते हैं; हम इर्द-गिर्द के मौसम से जब भी घबराये; तेरे ख्याल की छाओं में बैठ जाते हैं।

तेरी याद में आंसुओं का समंदर बना लिया; तन्हाई के शहर में अपना घर बना लिया; सुना है लोग पूजते हैं पत्थर को; इसीलिए मैंने अपना दिल पत्थर बना लिया।

नज़र नवाज़ नज़रों में ज़ी नहीं लगता; फ़िज़ा गई तो बहारों में ज़ी नहीं लगता; ना पूछ मुझसे तेरे ग़म में क्या गुजरती है; यही कहूंगा हज़ारों में ज़ी नहीं लगता।

किसी को ये सोचकर साथ मत छोड़ना की उसके पास कुछ नहीं तुम्हे देने के लिए; बस ये सोचकर साथ निभाने की उसके पास कुछ नहीं है तुम्हारे सिवा खोने के लिए!

"सूरज के सामने रात नहीं होती,
सितारों से दिल की बात नहीं होती.
जिन दोस्तों को हम दिलसे चाहते है,
न जाने क्यों उनसे रोज़ मुलाकात नहीं होती."

भुला कर हमें वो क्या खुश रह पाएंगे; साथ में नहीं हमारे जाने के बाद मुस्कुराएंगे; दुआ है खुद से कि उन्हें दर्द ना देना; हम तो सह गए पर वो टूट जाएंगे।

उसी तरह से हर इक ज़ख़्म खुशनुमा देखे; वो आये तो मुझे अब भी हरा-भरा देखे; गुज़र गए हैं बहुत दिन रिफ़ाक़त-ए-शब में; इक उम्र हो गई चेहरा वो चाँद-सा देखे।

मुझे उसके पहलु में आशियाना ना मिला; उसकी जुल्फों की छाओं में ठिकाना ना मिला; कह दिया उसने मुझको बेवफ़ा; जब मुझको छोड़ने का उसे कोई बहाना ना मिला।

तुम ना समझोगे इस तन्हाई के मायने; पूछना है तो शाख से टूटे पत्ते से पूछो क्या है जुदाई; यूँ ना कह दो बेवफा हमें; यह पूछो कि किस वक़्त तेरी याद नहीं आई।

सर्द मौसम का मज़ा कितना अलग सा है; तनहा रात में इंतज़ार कितना अलग सा है; धुंध बनी नक़ाब और छुपा लिया सितारों को; उनकी तन्हाई का अब एहसास कितना अलग सा है।

ज़िंदगी में बार-बार सहारा नहीं मिलता; बार-बार कोई प्यार से प्यारा नहीं मिलता; है जो पास उसे संभाल कर रखना; क्योंकि खो कर वो फिर कभी दोबारा नहीं मिलता।

कुछ बातें करके वो हमें रुला के चले गए; हम न भूलेंगे यह एहसास दिला के चले गए; आयेंगे कब वो अब तो यह देखना है उम्र भर; बुझ रही है वो आग जिसे वो जला कर चले गए।