आपकी जुदाई भी हमें प्यार करती है; आपकी याद बहुत बेकरार करती है; जाते जाते कहीं मुलाकात हो जाये आप से; तलाश आपको ये नज़र बार बार करती है।

कोई रिश्ता नया या पुराना नहीं होता; ज़िंदगी का हर पल सुहाना नहीं होता; जुदा होना तो किस्मत की बात है; पर जुदाई का मतलब भुलाना नहीं होता।

बिताए हुए कल में आज को ढूँढता हूँ; सपनों में सिर्फ आपको देखता हूँ; क्यों हो गए आप मुझसे दूर यह सोचता हूँ; तन्हा यारों से छुपकर रोता हूँ।

कोई वादा नही फिर भी प्यार है; जुदाई के बावजूद भी हमें तुमसे प्यार है; तेरे चेहरे की उदासी दे रही है गवाही; मुझसे बिछड़ कर तू भी बेकरार है।

कुछ उलझे सवालों से डरता है दिल; ना जाने क्यों तन्हाई में भखड़ता है दिल; किसी को पाना कोई बड़ी बात नहीं है; पर किसी को खोने से डरता है ये दिल।

याद में तेरी आहें भरता है कोई; हर सांस के साथ तुझे याद करता है कोई; मौत तो सच्चाई है एक रोज़ आनी है लेकिन; तेरी जुदाई में हर रोज़ मरता है कोई।

ना वो आम रहे ना हम ख़ास रहे; जाने क्यों आंसू पीकर भी हमें प्यास रहे; सारी दुनियां मुस्कुराती है दोस्तों मगर; दिल हमारा हमेशा ही उदास रहे।

तुमसे क्या शिकवा ए दोस्त बेवफाई का जब मुझसे मेरा नसीब ही रूठ गया
सच तो ये है दोस्त मैं तो वो खिलौना हूँ जो बदनसीब खेल ही खेल में टूट गया

मेरी चाहत में कोई खोट तो नहीं शामिल; फिर क्यों वो बार-बार आज़माए मुझे; दिल उसकी याद से एक पल भी नहीं जुदा; फिर कैसे मुमकिन है वो भूल जाए मुझे।

बता मुझे ये तेरी तनहाई कैसी है; समझकर प्यार सारा फिर भी रुसवाई कैसी है; हमें और भी मजबूर कर दिया है तूने; तू बता तो सही ये तेरी तनहाई कैसी है?

एक पल का एहसास बन कर आते हो तुम; दूसरे ही पल ख्वाब बन कर उड़ जाते हो तुम; जानते हो कि लगता है डर तनहाइयों से; फिर भी बार बार तनहा छोड़ जाते हो तुम।

उसको चाहा पर इज़हार करना नहीं आया; कट गयी उम्र पर हमें प्यार करना नहीं आया; उसने कुछ माँगा भी तो मांगी जुदाई; और हमें भी इंकार करना नहीं आया।

हर मुलाक़ात पर वक़्त का तकाज़ा हुआ; हर याद पर दिल का दर्द ताज़ा हुआ; सुनी थी सिर्फ लोगों से जुदाई की बातें; आज खुद पर बीती तो हक़ीक़त का अंदाज़ा हुआ।

होंठो पे कभी उनके मेरा नाम ही आये; आये तो सही बर-सर-ए-इलज़ाम ही आये; हैरान हैं लब-बस्ता हैं दिल-गीर हैं गुंचे; खुशबू की जुबानी तेरा पैगाम ही आये।

महल तेरी उम्मीद का ढहने नहीं दिया; ग़म ज़ुदा हूँ मैं किसी को कहने नहीं दिया; ना हो यकीं तो पूछ लो इन आँखों से; एक आंसू भी आँखों से बहने नहीं दिया।